कुछ विद्वान इसका अर्थ अश्वमुखी पुरुष से करते हुए किन्नरों को पुरुष और ऐसी स्त्रियों को किन्नरी कहते हैं। वर्तमान समय में किन्नर का आशय हिजड़ों से ही लिया जाता है। सृष्टि की वृद्धि में स्त्री और पुरुष की एक समान भूमिका होती है।
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Multidisciplinary and Multilingual International Monthly Monthly
कुछ विद्वान इसका अर्थ अश्वमुखी पुरुष से करते हुए किन्नरों को पुरुष और ऐसी स्त्रियों को किन्नरी कहते हैं। वर्तमान समय में किन्नर का आशय हिजड़ों से ही लिया जाता है। सृष्टि की वृद्धि में स्त्री और पुरुष की एक समान भूमिका होती है।
Read moreआज़ादी के बाद दलितों को शिक्षा का अधिकार मिला। मूक लोगों को वाणी मिली और चेतना आई जिससे उन्होंने रुढ़ियों और अमानवीय परंपराओं को नकार दिया। आठवें दशक में हिंदी दलित कहानी ऐसे ही समय में तेज़ी से उभरती है और अपनी उपस्थिति दर्ज करती है। तब से तक दलित कथाकर अपनी कहानियों के माध्यम से स्वयं को तलाशने के साथ-साथ सामाजिक परिवेश की गंभीर चुनौतियों से भी टकराते है
Read moreदलित तबके में आई जागृति ने उनमें सामाजिक-आर्थिक अन्याय को बनाए रखने वाले वर्ग और व्यवस्था के प्रति एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित किया है। सामाजिक अन्याय के पक्षधरों और जिम्मेदार लोगों के प्रति दलितों का आक्रोश अब ज्यादा मुखर हो गया है। दलित मानस यातनाओं की आँच में तपा-झुलसा है अतः आक्रोश व प्रतिशोध के भाव अब इन कविताओं में आने लगे हैं।
Read moreराजेश जोशी स्वभाव से बड़े शरीफ किस्म के आदमी है। लेकिन कविता के माध्यम से वह आज के बाजारीकरण के युग में ऐसी व्यंग्य बात कह देते हैं कि समाज की खोखली व्यवस्था का पर्दाफाश हो जाता है। आज का समय भूमंडलीकरण, उपयोगितावादी और विज्ञापन का युग है, जिसमें मानव जीवन के मूलभूत गुणों का हनन हो रहा है। चाहे वह आपसी सदभावना हो, प्रेम हो, अपनापन हो, रिश्ते – नाते हो, समाज या परिवार हो।
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