समकालीन कविता में सामाजिक बोध को समय की माँगों के अनुरूप उभरते हुए देखा जा सकता है जिसने मनुष्य को उसके दायित्वों के प्रति बोध कराया। समकालीन कविता की प्रमुख विशेषता जनपक्षधरता रही है।
हांसिये
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ISSN: 2454-2725
समकालीन कविता में सामाजिक बोध को समय की माँगों के अनुरूप उभरते हुए देखा जा सकता है जिसने मनुष्य को उसके दायित्वों के प्रति बोध कराया। समकालीन कविता की प्रमुख विशेषता जनपक्षधरता रही है।