बंसी कौल की लगभग चार दशक लंबी रंगयात्रा में एक विविधता बनी रहती है। सत्य है कि विविधता का होना अपने आप में उत्कृष्ट होने का मानक नहीं हो सकता पर यदि विविधता रंगकर्मी के निरंतर विकास और अपने आपको, अपने रंगलोक को लगातार सार्थक रूप से पुनः परिभाषित करते चलने से आती है तो यह प्रस्तुतियों को संपन्नता देती है।
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