प्रस्तुत शोध आलेख मीडिया में मौजूदा राष्ट्रवाद, देशद्रोही, देशभक्त और हिंसा की बहस और उसके विभिन्न पहलुओं को मौजूदा समय से व्याख्यायित करने की पहल करता है। राष्ट्र और राष्ट्रवाद दो ऐसे विचार रहे है जिन पर कई सालों से हर अलग-अलग देश में विचार-विमर्श हुआ है। राष्ट्र और राष्ट्रवाद का उदय हर देश में एक समान नहीं रहा है और न ही राष्ट्रवाद के परिणाम। भारत में राष्ट्रवाद का उदय उपनिवेशी सत्ता के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के लिए हुआ था। राष्ट्रवाद ने भारत की स्वतंत्रता में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था। स्वतंत्रता के इतने सालों बाद मीडिया में एक बार फिर राष्ट्रवाद और इसका विमर्श केंद्र में है। प्रस्तुत शोध आलेख इसी विमर्श और बहस का आलोचनात्मक परीक्षण करने का प्रयास करता है।
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